तेरी महफ़िल में हमने आना छोड़ दिया..................ग़जल
>> शुक्रवार, 13 मार्च 2009
तेरी महफ़िल में हमने आना छोड़ दिया
महफ़िल-ए-हिंद में हँस के हँसाना छोड़ दिया
इस गरदिश-ए-आयाम में सावन कहा बाकी
तुने भी हँस कर बुलाना छोड़ दिया
महकते बदन पर नककाशी तेरे गजब की है
फ़ानुज को भी अब तुने जलाना छोड़ दिया
काशिद के इन्तजार में उम्र बीत गई है मेरी
तेरा ख़त आया जब जमाना छोड़ दिया
कयामत की रात में एहतेमाम करुगा मै
"बेदिल" ने करके तुझे बहाना छोड़ दिया.
13-03-2009 (5:00 pm)
एक टिप्पणी भेजें
hello