आज हुआ ए कलम प्यार मुझे (ग़जल)
>> रविवार, 8 मार्च 2009
आज हुआ ए कलम प्यार मुझे
हो सके तो दे दुआ यार मुझे
ख़ुशी ही ख़ुशी का समां है चारो तरफ
तू दे सके तो दे मार मुझे
मंजिल-ए-मकानात में पहुच कर जब देखेगा
टंगा होगा आइने पर हार मुझे
राह-ए-इश्क में मर कर रह जाऊगा
असल में होगा इश्क का बुखार मुझे
ग़मो के दरिया में डूब कर निकला हूँ
जब ही पड़ा "बेदिल" नाम यार मुझे...
8-03-2009(1:20am)
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